आज बादलों को भिंगो देने की आरजू सी है...
आज..राख को फिर से..जला देने का मन सा है..
कभी ऐसे ख्याल...कुछ युहीं ..आया जाया करते हैं...
आओ आज..ज़िन्दगी का भी हिसाब कर लें...
बना लें..बहीखाते....और कुछ रसीदें..
काफी बकाया हो गया है..हमारा तुम पर...
बातें करतें हैं...भुलाने की एक दूजे को...
किया है वादा जुदा करने का..खुद को...
सासें तो तेरे नाम के बगैर ली जातीं नहीं...
सम्हालना खुद को सीखा नहीं अब तक...
चाहना किसी और को फिर...आया नहीं अबतक...
आदत तेरे साथ की...अबतक गयी नहीं ...
आज फिर... क्यों..यूँ याद आते हो....
आज फिर एक बार...क्यों मुझे रुलाते हो...
भूलना था ना..क्यों फिर..याद आते हो....