जो आजतक कुछ ना...कुछ भी ना कहा...


कैसे कहूँ तुझसे ..कि..हर साँस  में है नाम  तेरा..
कैसे कहूँ...कि...यूँ याद आते हो तुम मुझे ....

कैसे कहूँ ...क्या कहूँ ...कुछ भी....अब तुझसे...
जो आजतक  कुछ  ना...कुछ भी ना कहा...

किस हक़ से...रोक  लूं तुझे आज ..जाने से..
कैसे कहूँ कि...जीना आसां नहीं तेरे बिना...

कैसे कहूँ ...कि होता है दर्द...किसी और के साथ  देखकर तुझे...
पर किस  हक  से ..हक  जताऊ  तुझपर...