कैसा..किसका..देश..

मनाया दिन आजादी के जश्न का....
बड़ी बड़ी बातें....देश की...देशभक्ति की....
याद किया ..वो जज्बा...वो कुर्बानियां...
याद भी किया...या बस जताया..न जाने....

पर..फिर सवाल रहा वहीँ...
कैसा, किसका..देश...कैसी, किसकी आज़ादी..

क्या...ऐसा देश चाहा था हमने...
कैसा देश...है बनाया.तुमने..मैंने...
एक लडखडाता..बिखरता..लड़ता देश...
अपने ही वजूद को मिटते...देखता..एक देश...

अनेकता में एकता की बात..रह गयी बस बातों में...
इंसानियत तक..न मिली...ढूँढने पर....इस अँधेरे में..

देश नहीं ..लूट..जिसे..जितना ..जो मिले..लूट ले...
बस..एक धंधा...धन्धेवालों के हाथ में....
देश..???...कैसा..किसका..देश..

दिल में ..एक..अपने...देश की है चाह हमें..
देखा बहुत...सहा....रहे चुप..बस..अब नहीं...
 बनाना है अब ये देश...हमें....हाँ हमें...