मलाल तो है..जो तू पास नहीं..
मलाल तो है..जो तू साथ नहीं..
कुछ तो हमारा बचपना था शायद..
और हाँ..हुई कुछ गलतियां भी..
थोड़ी तुझसे..और कुछ मेरी...
और न जाने क्यों...कर लिया फैसला..
हमने जुदाई का..
वक्त बीता..जिंदगी बदली..
और शायद मैं भी..शायद तुम भी..
पर न जाने आज अचानक..
सात समंदर पार खड़े..
आती जाती लहरों को देखते इकटक...
तेरी याद आ गयी..
और अगली लहर के साथ हुआ..ये एहसास भी..
कि.. तू साथ नहीं..तू पास नहीं..
काश जा सकता वापस उन दिनों में..
तेरे साथ दुबारा..जी लेने वो पल..
और बदल देने वो..जो हुआ गलत..
समझाता खुद को...थोड़ा तुझे भी..
रोक लेता तुझे..मना लेता..यकीन कर...
न जाने इतने अरसे बाद हो रहा ये एहसास क्यों..
तुझको खोकर...कितना खोया मैं खुदको..
नहीं जानता..तू है कहाँ..किस हाल..किस खयाल में..
पर..मैं हूँ गुजारता...गम के इस एहसास में..अफसोस में..
और तेरी याद के सैलाब में..
मलाल तो है...जो तू साथ नहीं..
मलाल तो है...जो तू पास नहीं..