फिर आज..


फिर आज..लहू कि एक बूँद टपकी है आँखों से...
फिर आज...है ये दिल..ये रूह...लहलुहान..

आज फिर...है टूटा...और एक गुमान मेरा...
आज फिर..खोया सा है..वजूद अपना.. 

ख़त्म हो गयी....एक और...आस जिंदगी से...
आज..है छीन गया..उस उम्मीद का भी सहारा...

है टूट गया...फिर..एक सपना मेरा...
हकीकत न सही....सपना तो था...

आज...फिर पाया है...एक और धोखा...
तुमने दिया..शायद..या..शायद...मैंने ही..

फिर आज...बैठा हूँ..उस अँधेरे कोने में....
फिर...चुन रहा हूँ...अपने ही बिखरे टुकड़े..चुपके से..