ऐसा नहीं की अब दर्द नहीं होता..
पर शायद अब अहसास नहीं होता...
क्या आदत हो गयी है दर्द की...सहते सहते..
या..दर्द के अब मायने ही हैं गए बदल..
ये नहीं की फिर मोहब्बत न होगी...
पर फिर शायद वैसी इबादत न होगी..
क्या जज्बात हैं पढ़ गए फीके..वक़्त के साथ..
या..मोहब्बत के अब मायने ही हैं गए बदल..