आज ...मांग लिया तुने ... सबूत...मेरे प्यार का ....
लगा जैसे... हो मांग लिया....सबूत...मेरे वजूद का ...
बोलो..कैसे...जोडू ..और दिखाऊँ ..उन जागती रातों को..
और..कैसे जमा करूँ उन...दिल के बिखरे टूकड़ों को .....
कैसे देख पाओगे....उन सूखे...अश्क की धारों को....
कैसे सुनाऊँ....उन आहों को...सिसकियों को ...
आकर देख लो...है ज़िन्दगी कितनी अधूरी..बेमानी तेरे बिना....
अब तू ही बता ...दूं क्या सबूत...तुझे अपने प्यार का....
लगा जैसे... हो मांग लिया....सबूत...मेरे वजूद का ...
बोलो..कैसे...जोडू ..और दिखाऊँ ..उन जागती रातों को..
और..कैसे जमा करूँ उन...दिल के बिखरे टूकड़ों को .....
कैसे देख पाओगे....उन सूखे...अश्क की धारों को....
कैसे सुनाऊँ....उन आहों को...सिसकियों को ...
आकर देख लो...है ज़िन्दगी कितनी अधूरी..बेमानी तेरे बिना....
अब तू ही बता ...दूं क्या सबूत...तुझे अपने प्यार का....