क्या...आज..फिर..वही प्यार होगा ?


आज क्या फिर वही .... प्यार होगा, क्या दिल फिर वैसे बेक़रार होगा...
क्या फिर जागती..लम्बी..रातें होंगी, क्या फिर यूँ किसी का इंतज़ार होगा..

क्या फिर वैसी ही दिलचस्प मुलाकातें...बातें होंगीं...
क्या फिर किसी के बिना सूनी..तनहा...ज़िन्दगी होगी....

क्या फिर दस पैसे...unlimited  talktime ..के plans होंगे...
क्या फिर...वो बिन बोले...फोनेपर बातें होगी...

क्या..फिर....आखों से वो चुप चुप सी बातें होंगी..
क्या वो...झगडे...वो नादानियाँ होंगीं.....

क्या... वो मासूमियत से भरे... प्यारे... सपने होंगे...
क्या...वो इरादे...साथ जीने मरने के वादे होंगे..

क्या...आज..फिर..वही प्यार होगा ?
शायद...अब नहीं.