जिंदगी...फिर से तेरे नशें में हूँ..


आज फिर से ऐ जिंदगी, जिन्दा हूँ मैं..

फिर से सुन सकता आज..अपनी धडकनों को..
महसूस कर सकता हूँ..उन एहसासों को..

आज फिर ये हवाएं...सहलाती धरती को..
फिर से सुन सकता हूँ..चिढ़ियों का वो चहचहाना..
वो भीनी सी तपिश..मद्धम धुप की...

आज फिर से ऐ जिंदगी...मुझमे तू जिन्दा है..

कल तक जिंदगी...एक धोखा थी..
और जीना था...एक मजबूरी..

आज...जिंदगी..तू एक नशा है..
और..आज मैं...फिर से तेरे नशें में हूँ..