आज नहीं आसान ....


आज नहीं आसान ...सब कुछ भुला देना,
आज नहीं आसान... यूँ छोड़ के चले जाना.

आये थे जब यहाँ..लाये थे अरमान कई,
पुरे हुए कुछ सही...कुछ रह गए यूहीं.

पर आज है ना गम..कुछ न पाने का,
है आज तो गम..तुझे छोड़ के जाने का.

न था ये कारवां कोई..था मेरा ये सारा जहां,
बिछढ़ के अपने ही जहां से..इंसान जायेगा कहाँ.

थे ऐसे दोस्त यहाँ..खिलखिलाते थे जो हम यहाँ,
पढ़ना हर शिकन चेहरे की..हर थिरकन आखों की.
भुला देना हर गम..उन हँसीं के फवार्रों में..
इजाज़त ही नहीं थी..जिनके सामने रोने की..

आज उन्हीं को छोड़ के है चले जाना..
नहीं जानता..क्या होगा..कभी  लौट के आना..
क्या यूँ कर दोगे..हमें तनहा..इस भीढ़ में..
नहीं कद्र मेरी हंसी..आंसुओं की जिसे...

नहीं आसान दूर चले जाना...वजूद से ही अपने..
तुने ही दी पहचान..दी जिंदगी को मायनें तुने..

नहीं आसान ..भुला देना,
नहीं आसान...छोड़ के ..चले जाना....