कोई हो, तो...

कोई हो, तो...

यूँ नहीं कि, कोई अहसास नहीं, कुछ दर्द नहीं,
चीख़ भी लूँ, रो भी लूँ, लड़ भी सकूँ, कोई हो, तो... 

ज़िंदगी कि इस दौड़ में बेतहाशा भाग रहा हूँ,
ठहर भी लूँ, जी भी लूँ, कोई हो, तो...

ऐसा नहीं कि, थकान नहीं होती, नींद नहीं आती,
सुस्ता भी लूँ, सो भी जाऊँ, कोई हो, तो...

यूँ नहीं कि बोलना भूल गया हूं,
कह भी दूँ, जता भी लूँ, कोई हो, तो...

ऐसा नहीं कि मुस्कुराना नहीं आता,
हँस भी लूँ, खिलखिला कर, कोई हो, तो...

आज भी, वो धुन, वो ताल है याद मुझे,
गुनगुना लूँ, गा लूँ, थिरक भी लूँ, कोई हो, तो...

संजीदा रह रह कर थक सा गया हूँ अब मैं..
कुछ शरारत करूँ, थोड़ा बचपना, कोई हो, तो...

ख़ाब आ जाते हैं आज भी, कभी कभी,
उन्हें मुकम्मल भी कर लूँ, पर किसके लिये, कोई हो, तो...

कोई हो, तो...
जी लूँ, मर भी सकूँ, 
किसी के लिए, कोई हो, तो...

तू सच है, या है कोई सपना..

सच है तू, या है कोई सपना..

ठंढक सी मिल जाती है मेरी आखों को..
सुकून सा आ जाता है..इस रूह को..तुझसे..

देख तुझे थोड़ी देर आंखें बंद कर लेते हैं..
शायद तुझे पलकों में सहेज लेने की कोशिश हो..
लेते हैं एक लंबी सी सांस...
जैसे तुझे खुद में समा लेने की चाहत है..

ठंढक सी मिल जाती है..सुकून सा आ जाता है तुझसे...

चंचलता के साथ वो ठहराव
चपलता के साथ वो सादगी

संजीदगी के साथ वो बचपना
चतुरता के साथ वो भोलापन

ठंढक सी मिल जाती है..सुकून सा आ जाता है तुझसे...

तू...और..तेरा नशा...

तू...और..तेरा नशा..
तू..और..तेरी बातें...

कतरा दर कतरा...
घूँट दर घूँट..
जेहन में यूँ उतरती हैं तेरी बातें..
समा सी जाती हो यूँ.. तू मुझमें..
जैसे हो शराब...

जैसे हो..सिंगल माल्ट का वो पेग..
वो मद्धम खुशबू..सौंधी सौंधी सी..
हल्की कड़वी..थोड़ी सी मिठास भी..
गर्माहट..वो सुरूर..
ऑन द रॉक्स हो या शायद नीट ही..

काश ये जिंदगी निकल जाए..
थामे ये पेग..और हाथ तेरा..
रहूँ डूबा..तेरे नशे में..
खोया..तेरे ख़यालों में..
बेपरवाह इस दुनिया और इसके मसलों से..
तेरी बाहों में..सुकून से..

तू..और..तेरी बातें...
तू...और..तेरा नशा..

मलाल तो है..जो तू पास नहीं...

मलाल तो है..जो तू पास नहीं..
मलाल तो है..जो तू साथ नहीं..

कुछ तो हमारा बचपना था शायद..
और हाँ..हुई कुछ गलतियां भी..
थोड़ी तुझसे..और कुछ मेरी...

और न जाने क्यों...कर लिया फैसला..
हमने जुदाई का..

वक्त बीता..जिंदगी बदली..
और शायद मैं भी..शायद तुम भी..

पर न जाने आज अचानक..
सात समंदर पार खड़े..
आती जाती लहरों को देखते इकटक...
तेरी याद आ गयी..
और अगली लहर के साथ हुआ..ये एहसास भी..
कि.. तू साथ नहीं..तू पास नहीं..

काश जा सकता वापस उन दिनों में..
तेरे साथ दुबारा..जी लेने वो पल..

और बदल देने वो..जो हुआ गलत..
समझाता खुद को...थोड़ा तुझे भी..
रोक लेता तुझे..मना लेता..यकीन कर...

न जाने इतने अरसे बाद हो रहा ये एहसास क्यों..
तुझको खोकर...कितना खोया मैं खुदको..

नहीं जानता..तू है कहाँ..किस हाल..किस खयाल में..
पर..मैं हूँ गुजारता...गम के इस एहसास में..अफसोस में..
और तेरी याद के सैलाब में..

मलाल तो है...जो तू साथ नहीं..
मलाल तो है...जो तू पास नहीं..

ये COMMERCIAL दिवाली

दिवाली ....किसकी ...ये दिवाली ...

गरीब की ठिठुरती ...काँपती ..भूख से तड़पती ...
अमीरों की ..शोर ...धमाके ...वाली ... ROCKING दिवाली ..

SOCIETY में STATUS जताने का मौका...
फिजूलखर्ची का RECORD बनाने की दिवाली।

' ETHNIC-WEAR' खरीदने ..पहनने की दिवाली ...
बेवजा ..बेतहाशा ...SHOPPING ...GIFTS की दिवाली ...

पटाखे .... धुआं ..शोर ..चकाचौंध की दिवाली ..
ये ..खुद ..एक दुसरे को ..जलने जलाने की दिवाली ...


ये न कोई पर्व ...न धर्म ...न पूजा पाठ वाली दिवाली ...
आओ ....हम भी मनाएं ...ये  COMMERCIAL दिवाली।