कल जब..मैं छोटा था..दुनिया...कितनी बड़ी थी...
आज इतनी छोटी...जब बड़ा हुआ मैं....
कल..एक छोटे से...कस्बे में रहता था...
जहाँ आम इन्सान थे रहते....
आज इस बड़े शहर में...
जहाँ इंसा नहीं...मशीने हैं बसतीं...
कल...एक इंसान...एक पहचान ....
आज कितने मुखौटे...ना जानें...
कितना बदल गया है...सब कुछ....
कितना बदल गया हूँ ना...मैं.....